What is the truth behind the purchase of MLAs?

विधायकों की खरीद का सच क्या है?

What is the truth behind the purchase of MLAs?

पंजाब में 92 सीटें हासिल कर प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई आम आदमी पार्टी का भाजपा पर कथित ऑपरेशन लोटस के नाम पर आप के विधायकों को 25-25 करोड़ में खरीदने का आरोप हैरत में डालने वाला है। आरोप लगाने के दूसरे दिन पार्टी ने डीजीपी को कथित सबूतों के साथ शिकायत दी है, जिसके बाद किसी अज्ञात पर केस दर्ज हो गया है।

क्या वास्तव में भाजपा पंजाब में ऐसा करने की स्थिति में है, यह सवाल सभी पूछ रहे हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान कह रहे हैं कि उनका कोई विधायक बिकने वाला नहीं है। वे यह भी कह रहे हैं कि भाजपा ऐसा इसलिए कर रही है, क्योंकि उस पर सत्ता का नशा सवार है। सीएम इसका भी दावा कर रहे हैं कि दिल्ली में भी भाजपा ने आप की सरकार गिराने की कोशिश की थी।

यह पढ़ें - शाइन स‍िटी के न‍िदेशक Rashid Naseem पर 10 और FIR 60 हजार करोड़ की ठगी का मामला

हालांकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अपने इस आरोप के एवज में न कोई सबूत पेश कर सकें हैं और न ही ऐसी किसी साजिश के संबंध में उनकी ओर से पुलिस को शिकायत दी गई है। अगर कोई राजनीतिक दल ऐसा कर रहा है तो क्या सत्ताधारी पार्टी को अपने बचाव के लिए कानून की मदद नहीं लेनी चाहिए?

आजकल देश में अगर विधायक पाला बदल रहे हैं, तो इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। बेशक, अपने प्रसार की राजनीतिक महत्वाकांक्षा हर पार्टी में होती है, लेकिन क्या हर विधायक बिक कर ही दूसरी पार्टी में जाता है। गोवा में कांग्रेस के आठ विधायक अगर पाला बदलते हुए भाजपा में शामिल हो गए हैं तो क्या उनका भी कोई रेट था?

क्या उन्हें वह रेट मिल गया?

दिल्ली में विवादित आबकारी नीति की वजह से आप पर तमाम सवाल खड़े हुए हैं। सरकार ने अपने बचाव में सबूत पेश करने के बजाय राजनीतिक आरोपों को ढाल बनाया और जवाब देने के बजाय उलटे सवाल दाग दिए। इस बीच डिप्टी सीएम को खरीदने संबंधी आरोप भी दाग दिया। आखिर ऐसे समय में ही भाजपा ने आप के विधायकों को खरीदने की क्यों सोची, वह चाहती तो इससे पहले भी ऐसा कर सकती थी।

क्या खुद पर लगे आरोपों की दिशा बदलने के लिए तो आप ने ऐसा नहीं किया?

अब पंजाब के संबंध में भी यही पूछा जा रहा है। पंजाब में पार्टी के पास प्रचंड बहुमत है, भाजपा के पास महज दो विधायक हैं। क्या दो विधायकों वाली पार्टी 92 विधायकों वाली पार्टी को तोडकऱ अपनी सरकार बनाने का सपना देख सकती है? बेशक, राजनीति में कुछ भी संभव है, लेकिन पंजाब में हाल फिलहाल यह संभव नजर नहीं आता। अगर भाजपा ने ऐसी कोई कोशिश की भी तो यह उसके लिए नुकसानदायक ही साबित होगा, क्योंकि पंजाब की जनता देश की दूसरी जनता के मुकाबले काफी अलग है। वह मेहनत करती है, और मेहनत का फल देती है, किसी का प्रपंच उसके सामने नहीं चलता।

आम आदमी पार्टी को राज्य में मिली कामयाबी का राज यही है कि आप ने प्रदेश की दशा और दिशा बदलने का उसे सपना दिखाया है, जनता ने न कांग्रेस को पसंद किया और न शिअद या भाजपा को। तब भाजपा क्या किसी अन्य दल को साथ लेकर अपने इस बदले को पूरा करना चाहेगी? शायद कभी नहीं।

पंजाब के आप विधायकों को 25-25 करोड़ रुपये देकर खरीदने के आरोप की जांच विजिलेंस ब्यूरो को दी गई है। आशा की जानी चाहिए कि इस मामले की जांच अगर पूरी होती है तो जल्द सामने आएगी। वरना अगले पांच वर्ष तो आप की सरकार रहनी ही है, पुलिस और विजिलेंस को भी उसी के तहत काम करना होगा। विपक्ष और राज्य रिपोर्ट का इंतजार करता रहेगा। पांच साल बाद जो होगा वह देखा जाएगा।

अब आप के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के सभी आप विधायकों को दिल्ली बुलाया है। इस वर्ष गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। केजरीवाल दोनों ही राज्यों में अपनी पार्टी का विस्तार करने के लिए यहां के दौरे कर रहे हैं। वे आजकल गुजरात में ज्यादा बीता रहे हैं, आप की उम्मीदों को यहां तब पंख लगते दिखते हैं, जब उनकी सभाओं में बड़ी संख्या में लोग जुटते दिखते हैं।

केजरीवाल यहां भी मुफ्त बिजली,पानी और मोहल्ला क्लीनिक के साथ स्कूलों की सेहत ठीक करने का दावा करते हुए समर्थन मांगते हैं। क्या आप के पास आगे बढऩे का यही फार्मूला है कि प्रलोभन देते रहो और खुद को विवादित बनाए रखो ताकि जनता की सहानुभूति का प्रसाद मिल सके। यह वही बात दिखती है कि कोई बच्चा शरारत भी ज्यादा करे और फिर बचाव में रो कर भी खूब दिखाए।

विधायकों की खरीद का मामला बेहद संवेदनशील है। इस मामले में भाजपा को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। क्या वास्तव में उसकी ओर से ऐसी कोई पेशकश की गई है तो यह लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने की कवायद होगी। लेकिन अगर यह झूठ है तो फिर आप को यह साबित करना चाहिए। उसे यह भी बताना होगा कि आखिर एकाएक सात महीने पुरानी सरकार को गिराने की कोशिश कैसे होने लगी।

कहीं ऐसा तो नहीं है कि आप के विधायक खुद ही बेलगाम होने लगे हों, क्योंकि उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो पा रही। आप के मंत्रियों, विधायकों पर आरोप सामने आ रहे हैं। उन्हें जैसे किसी प्रभावी नेतृत्व का अभाव खल रहा है। शिअद नेता का बयान भी है कि धुंआ वहीं होता है, जहां आग होती है। जाहिर है, आम आदमी पार्टी के लिए यह चिंता और चिंतन का समय है, उसे जहां अपने विधायकों को अनुशासित करना होगा वहीं सच की राजनीति को भी आगे बढ़ाना होगा। ऐसे आरोपों से पार्टी की विश्वसनीयता पर संकट खड़ा होता है।